2020-11-23 08:51
कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के रूप में जाना जाता है. इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं। इस दिन व्रत रखकर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के मुताबिक मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने और आंवला खाने से सुख—समृद्धि और सेहत बढ़ती है।
सभी धर्म ग्रंथों में आंवला के वृक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप बताया गया है। पद्म पुराण में उल्लेख है कि स्वयं भगवान शिव ने इसे साक्षात विष्णु कहा है। आंवला को विष्णु प्रिय भी कहा जाता है। आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा के बाद इसके नीचे बैठकर ही प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इससे हर तरह बीमारियां दूर होती हैं और विष्णुजी की कृपा प्राप्त होती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि आंवला नवमी सिद्ध मुहूर्त भी है। माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा, व्रत, दान आदि का अक्षय फल मिलता है। विष्णु पुराण के अनुसार इस दिन व्रत रखकर आंवले के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा करने का फल कभी क्षय नहीं होता है। इस दिन व्रत और पूजा करने से संतान—सुख—समृद्धि मिलती है।
खास बात यह है कि ये अक्षय यौवन प्राप्त करने का भी दिन है। महर्षि च्यवन ने इसी दिन आंवले का सेवन कर पुनर्यौवन प्राप्त किया था। तभी से इस दिन आंवला खाने की परंपरा प्रारंभ हुई। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को इनसे छुटकारा पाने के लिए इस दिन आंवला पेड़ की पूजा और परिक्रमा करना चाहिए। इसके नीचे बैठकर दवा ग्रहण करने से लाभ अवश्य होगा।
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