2021-02-18 17:06
नापासर टाइम्स। मधुशाला से कमाई का मोह पाले बैठे लाखों लोगों के अरमानों पर नई आबकारी नीति (New excise policy) ने पानी फेर दिया है. मदिरा दुकान आवंटन (Wine shop allocation) अब नसीबों का खेल नहीं रह गया है.
इस बार ऑनलाइन नीलामी (Online Auction) से दुकानों का आवंटन होगा. ऐसे में आम आदमी अब इसमें भाग्य नहीं आजमा सकेगा. अब तक कुछ लोग कम पूंजी लगाकर लॉटरी के माध्यम से अधिक मुनाफा कमाने में कामयाब हो रहे थे, लेकिन नई नीति ने उनके सपनों पर वज्रपात कर दिया है.
ऑनलाइन नीलामी प्रक्रिया हुई शुरू
प्रदेश में शराब की 7665 दुकानों की नीलामी के लिए ऑनलाइन प्रकिया शुरू हो गई हैं. इस बार 13 हजार करोड़ रुपये राजस्व का लक्ष्य है. ज़ी मीडिया ने रिजर्व प्राइस (हर ठेके की एक तय कीमत, जिससे आगे ही बोली लगेगी) को खंगाला तो, कई चौकाने वाली जानकारियां सामने आईं. गुजरात (Gujarat) में शराबबंदी से राजस्थान (Rajasthan) के आबकारी विभाग का खजाना ज्यादा छलकेगा. प्रदेश के 6 सबसे महंगे शराब ठेके उदयपुर संभाग में ही हैं. इनमें तीन डूंगरपुर, दो बांसवाड़ा और एक उदयपुर में हैं. हालांकि सबसे ज्यादा राजस्व दिलाने में जयपुर शहर के ठेके टॉप पर हैं, जबकि दूसरा नंबर उदयपुर का आता है.
रिजर्व प्राइस के अनुसार कंपोजिट राशि तय की गई
प्रदेश का सबसे महंगा ठेका डूंगरपुर के खजूरी का है. इसकी रिजर्व प्राइस 18.99 करोड़ हैं. उदयपुर में 394 दुकानों से 577 करोड़ 87 लाख 55 हजार 634 रुपये का राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया है. उदयपुर संभाग (Udaipur Division) में सबसे महंगे ठेके गुजरात में शराबबंदी के कारण हैं. वहां से आने वाले पर्यटकों की वजह से इन दुकानों पर शराब का ज्यादा उठाव होता हैं. इसी कारण इनकी रिजर्व प्राइस ज्यादा है. आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिस दुकान की जितनी मिनिमम रिजर्व प्राइस है, उसी से नीलामी की बोली लगना शुरू होगी. प्रत्येक दुकान की रिजर्व प्राइस के अनुसार कंपोजिट राशि तय की गई है, जिसे दुकान मिलने के बाद विभाग को जमा करानी होगी. जितनी रिजर्व प्राइस विभाग से तय की गई है, दुकानदार को सालभर में उतनी राशि का उठाव करना ही होगा.
RELATED ARTICLES