2021-03-26 10:53
नापासर टाइम्स।हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत की काफी महिमा बतायी गई है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव इस समय कैलाश पर स्थित चांदी के भवन में तांडव करते हैं. भक्तों के लिए ये व्रत बहुत मंगलकारी और मनोकामनाओं को पूरा करने वाला होता है. इस बार मार्च माह का अंतिम प्रदोष व्रत 26 मार्च शुक्रवार को पड़ रहा है. इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जा रहा है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. भक्त इस व्रत में भोले शंकर की पूजा अर्चना करते हैं. आइए जानते हैं व्रत का शुभ मुहूर्त...
*प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त:*
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त- 26 मार्च शुक्रवार, शाम 6 बजकर 36 मिनट से रात्रि 8 बजकर 56 मिनट तक
26 मार्च 2021- त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ: सुबह 08 बजकर 21 मिनट से
27 मार्च 2021-त्रयोदशी का समापन- सुबह 06 बजकर 11 मिनट पर.
*शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व:*
शुक्र प्रदोष व्रत या भुगुवारा प्रदोष के दिन भगवान शिव के साथ साथ माता पार्वती की पूजा का भी विधान है. मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से पाप तो मिटते ही है मोक्ष भी प्राप्त होता है. शुक्र प्रदोष व्रत सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति और समृद्धि के लिए रखा जाता है.
*शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा की विधि*
सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें. इसके बाद पवित्र होकर पीले रंग के वस्त्र धारण करें. पूजाघर की साफ सफाई करें इसके बाद महादेव की प्रतिमा विराजित करें और उन्हें सफेद फूलों के हार पहनाएं. व्रत का संकल्प लें. इसके बाद दीप और धूप भी जला दें. अब ओम नम: का 108 बार जाप करें और शिव चालीसा, शिव स्तुति और शिव आरती करें. इसके बाद भगवान शिव की प्रिय चीजों जैसे बेलपत्र, धतूरा और अन्य चीजों को अर्पित करें।
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