2022-04-24 08:31
नापासर टाइम्स। देशभर में पेट्रोल-डीजल की बढ़ रही कीमतों के बीच हर चीज में महंगाई का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। पशु चारे के भाव भी अब आसमान छूने लगे हैं। जनवरी से अप्रैल तक पशु चारे की कीमतों में दोगुनी बढ़ोतरी हो चुकी है। इन हालातों में पशुपालकों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया, वहीं गोशाला संचालकों के भी होश उड़े हुए हैं। पशुपालकों का मानना है कि 70 साल के इतिहास में पहली बार एक साथ पशु चारे के भावों में इतनी वृद्धि हुई है। क्षेत्र में बाजरे का चारा कुतर सबसे ज्यादा काम में ली जाती है।
कुतर जनवरी में 750 व अप्रैल में 1250 रुपए प्रति क्विंटल हो गई। वहीं तूड़ी 850 रुपए से बढ़कर अप्रैल में 1200 रुपए प्रति क्विंटल हो गई। इसके साथ ही जनवरी में 750 रुपए क्विंटल बिकने वाली पराली अब 1200 रुपए तक पहुंच गई। इधर, मूंगफली का चारा 1500 रुपए क्विंटल तक बिक रहा है।
पशु आहार भी महंगा इस समय पशु आहार भी महंगा है। चूरी का भाव 2500 सौ रुपए प्रति क्विंटल है। खल 3400 सौ रुपए, काकड़ा 42 सौ रुपए और बाजरा 2000 रुपए क्विंटल व गेहूं के भी कम से कम 2200 रुपए क्विंटल के भाव आसपास हैं। इस वजह से पशुपालक को पशुओं को चराना महंगा हुआ है।
गोशाला संचालक बोले- गोवंश को पालने में भारी परेशानी हो रही,पशुपालक बोले- चारे के भाव बढ़ रहे लेकिन दूध के नहीं,पशुपालक का कहना है कि चारा सहित अन्य खाद्य सामग्री बहुत महंगी हो गई है, लेकिन दूध पहले जितना भाव है। गांवों में दूध औसतन 45 से 50 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। जबकि तुड़ी के भाव ज्यादा है। मौजूदा हालात में पशुपालक को बचत नहीं हो रही है। जितना पशु खा रहा है उतने में दूध नहीं बिक पा रहा है। सारे खर्च लगाने पर पशुपालक को घाटा होने लगा है। पशुपालक की यह चिंता बढ़ी है।
भावों में तेजी के ये हैं कारण • पराली व तूड़ी का गत्ते और कार्टन बनाने में होने लगा उपयोग
इस काम से जुड़े लोगों से बात करने पर सामने आया कि पराली और तूड़ी सहित कई तरह के चारे को बड़ी मात्रा में गत्ते व कार्टन बनाने के काम में लिया जाने लगा है। वहीं गेहूं की फसल कई राज्यों में कमजोर होना भी चारे के महंगा होने का एक कारण है। हरियाणा पंजाब से चारा कम आना और अच्छे दाम मिलने के कारण कुतर का दूसरे राज्यों में सप्लाई होना भी चारे के भाव बढ़ने का कारण बना है।
आगे भी भाव कम होने की गुंजाइश नहीं मौजूदा रबी की फसल आने के समय भाव कम हो जाते हैं, लेकिन इस बार यह गुंजाइश भी कम असल में पिछली बार सरसों के भाव ज्यादा रहने के कारण इस बार गेहूं व जी की बुआई बहुत कम है।
देश की खेती योग्य भूमि में से सिर्फ चार प्रतिशत पर हो रहा चारे का दन
एक सर्वे के अनुसार भारत के मात्र 2 प्रतिशत भूभाग पर विश्व की 30 प्रतिशत पशु आबादी निर्भर है। वर्तमान में देश में कुल 535.78 मिलियन पशुधन हैं। वर्ष 2012 से लेकर 2019 के बीच पशुधन में 4.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। चारा उत्पादन के लिए देश की कुल खेती योग्य भूमि में से मात्र 4 प्रतिशत पर ही चारा उत्पादन किया जा रहा है, जबकि वर्तमान में 14 से 17 प्रतिशत क्षेत्रफल पर चारा उगाने की जरूरत है। पशुओं की संख्या के अनुसार चारे की मांग और उपलब्धता में बहुत बड़ा अंतर है।
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