2021-11-22 20:45
नापासर टाइम्स। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल फेरबदल से बीकानेर का दबदबा बढ़ गया है। 18 साल बाद डॉ. बी.डी. कल्ला को फिर से शिक्षा जैसे बड़े विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी गई है तो राज्य मंत्री होने के बाद भी श्रीकोलायत विधायक भंवर सिंह भाटी को ऊर्जा मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। इससे पहले भी ये विभाग बीकानेर के डॉ. कल्ला के पास था। उधर, खाजूवाला विधायक और पहली बार केबिनेट मंत्री गोविन्द मेघवाल को उम्मीद से कमजोर डिपार्टमेंट मिलने से समर्थकों में निराशा है।
1998 में थे कल्ला शिक्षा मंत्री
इससे पहले वर्ष 1998 में डॉ. बी.डी. कल्ला को शिक्षा मंत्री बनाया गया था। तब माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पेपर लीक होने से कल्ला विवाद में आए लेकिन इसके बाद लगातार पांच साल उन्होंने विभाग चलाया। इस दौरान बीकानेर के शिक्षा निदेशालय को फिर से मजबूत किया गया। निदेशालय को बीकानेर से जयपुर शिफ्ट करने के प्रयासों पर तब रोक लगी। कई नए काम भी शिक्षा निदेशालय को मिले। एक बार फिर कल्ला के मंत्री बनने से बीकानेर के शिक्षा निदेशालय के मजबूत होने की उम्मीद बंध गई है।
भंवर सिंह का परमोशन
उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में काम करने वाले भंवर सिंह भाटी के डिमोशन होने की आशंका के बीच अशोक गहलोत ने बिना केबिनेट में लिए उन्हें बड़ा विभाग दे दिया है। आमतौर पर ऊर्जा विभाग सीनियर मंत्री को दिया जाता है लेकिन इस बार राज्य मंत्री होते हुए भी भाटी को ये बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। खास बात ये है ऊर्जा मंत्री का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। ऐसे में उन्हें सीधे मुख्यमंत्री को ही रिपोर्ट करनी है। बीकानेर में बिजली कंपनी की खिलाफत कर चुकी कांग्रेस को इस कंपनी को हटाने का दारोमदार अब कल्ला से भाटी पर आ गया है। भाटी खुद किसान परिवार से जुड़े रहे हैं और ग्रामीण क्षेत्र से ही आते हैं, ऐसे में किसानों को भी उम्मीद बंध गई है।
उम्मीद से कम मिला गोविन्द को
बीकानेर से दलित नेता के रूप में गोविन्द राम को केबिनेट मंत्री तो बनाया गया लेकिन उन्हें विभाग उम्मीद से कमजोर मिले हैं। पोस्ट ग्रेजुएट गोविन्द मेघवाल को शिक्षा मंत्री जैसा प्रभार मिलने की उम्मीद की जा रही थी। इस बीच उन्हें आपदा नियंत्रण जैसे विभाग मिलने से समर्थकों में निराशा है। दरअसल, पूर्व में मास्टर भंवरलाल शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। ऐसे में गोविन्द मेघवाल को भी इसी रूप में देखा जा रहा था