2022-07-22 08:24
भोलेनाथ की सबसे प्रिय वस्तुओं में से एक है बेलपत्र. सावन में शिव जी की पूजा में बेलपत्र का विशेष स्थान है. मान्यता है कि सावन में रोजाना एक बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाने से महादेव बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. कहते हैं इसके बिना शिव जी की पूजा अधूरी मानी जाती है. ऐसे में शिव जी को बेलपत्र चढ़ाते वक्त कुछ सावधानियां रखनी चाहिए, नहीं तो खुश होने की बजाय महादेव नाराज भी हो सकते हैं. आइए जानते हैं क्यों शिव पूजा में बेलपत्र का है खास महत्व, शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने की सही विधि और इसे किस दिन नहीं तोड़ना चाहिए.
*भगवान शिव को क्यों चढ़ाया जाता है बेलपत्र*
तीन पत्तों वाला बेलपत्र भगवान शिव की तीन नेत्रों का प्रतीक माने जाते हैं.
वहीं कुछ मान्यता हैं कि ये भोलेनाथ के त्रिशूल का प्रतिनिधित्व करता है.
बेलपत्र के तीन पत्ते ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी माने जाते हैं. मान्यता है कि बेलपत्र के तीन जुड़े हुए पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने भगवान शिव को शांति मिलती है.
बेलपत्र ठंडक प्रदान करता है. शिवपुराण के अनुसार जब शिव जी ने समुद्र मंथन से निकला विष पी लिया था. महादेव को पीड़ा से मुक्त करने के लिए देवी देवताओं ने उन्हें बेलपत्र खिलाए थे साथ ही जल अर्पित किया . बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत हो गई.
*शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की सही विधि*
सावन में शिव पूजा के समय शिवलिंग पर खंड़ित बेलपत्र न चढ़ाएं. शिव जी मात्र एक बेलपत्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए ध्यान रहे कि ये कहीं से कटा फटा न हो. बेलपत्र आमतौर पर 3 पत्तों वाला होता है लेकिन 5 पत्तियों वाला बेलपत्र शिव पूजा के लिए बेहद शुभ माना जाता है.
बेलपत्र हमेशा ऐसे चढ़ाएं जिसका चिकनी सतह वाला भाग शिवलिंग से स्पर्श कर रहा हो. मध्य वाली पत्ती को पकड़कर शिव जी को अर्पण करें. जलाभिषेक के साथ बेलपत्र अर्पित करने से महादेव बहुत प्रसन्न होते हैं.
भोलेनाथ को सावन में बेलपत्र चढ़ाते समय रुद्राष्टाध्यायी मंत्र का जाप करने से मनइच्छा फल प्राप्त होता है.
मंत्र ‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥’
शास्त्रों के अनुसार बेलपत्र अशुद्ध नहीं होता पहले से चढ़ाए हुए बेलपत्र को दोबारा साफ पानी से धोकर शिव जी को अर्पित किया जा सकता है.
*किस दिन नहीं तोड़ना चाहिए बेलपत्र*
शास्त्रों में बेलपत्र को तोड़ने के भी नियम हैं. मान्यता है कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति और सोमवार बेलपत्र तोड़ने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं.
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