2022-05-14 20:50
नापासर टाइम्स। फ्रिज से भी ठंडा पानी नापासर गांव में बनी मिट्टी की मटकियों से इस क्षेत्र के लोग अपनी प्यास बुझाते हैं. यहां की मटकियां मारवाड़ी फ्रिज से प्रसिद्ध है, लेकिन आज ये कला आर्थिक मार के चलते खोने की कगार पर है.
पश्चिमी राजस्थान जहां आज भी बिजली हजारों परिवारों के लिए एक सपना है, तो वहीं जिन घरों में बिजली है तो वो कटौती की भेट चढ़ जाती है. ऐसे में गर्मी के दिनों में बिजली होना और न होना एक समान है. फिर फ्रिज और कोल्ड ड्रिंक की यहां आशा करना भी बेमानी होगी, लेकिन रेगिस्तान इलाके की इस गर्मी में आपको फ्रिज जैसा ठंडा पानी मिल जाए तो शरीर मे एक नई ऊर्जा का संचार होता है. 'मारवाड़ी फ्रिज' के नाम से प्रसिद्ध नापासर की मटकियों की मांग इस क्षेत्र के साथ अन्य प्रांतों में भी है.
*तीन तरह की मिट्टी से मिलकर बनती हैं मटकियां*
भारत वर्ष में प्रसिद्ध नापासर में बनने वाले ये मटकियों के लिए कोलायत , लखासर, तेजरासर की कालर सहित नापासर की पीली मिट्टी मिलाई जाती हैं, जिससे ये मिट्टी के बर्तन तैयार होते हैं. एक मटकी को बनाने के लिए तीन किस्म की मिट्टी को छान कर मिलाया जाता है और फिर मिट्टी को एकदम पूरा रसाया जाता है. चाक पर चलाकर एक एक बर्तन को बनाया जाता है. हाथ से पिट-पिट कर गोल आकार में मटकी का आकार दिया जाता है. उसके बाद धूप में रखवाया जाता है. शाम के समय घर में एक गड्ढा बनाया हुआ रहता हैं, जिसमे इन बर्तनों को रखकर आग से सिकाई की जाती हैं तब बर्तन तैयार होता है.
*आधुनिकरण की दौड़ में दम तोड़ रहा स्थानीय व्यवसाय*
दो दशक पहले तक हर घर में एक दो मटकी आप को मिल ही जाया करती थी, लेकिन वर्तमान में फ्रिज और कोल्ड ड्रिंक की आधुनिकरण की दौड़ में अब ये स्थानीय व्यवसाय दम तोड़ता नजर आ रहा है. स्वास्थ को सही रखने और प्राकृतिक रूप से पानी को फिल्टर करने वाली मटकियों का स्थान आरओ मशीनों ने ले लिया है.
*मेहनत के हिसाब से नहीं मिलता पैसा*
शिल्पकार मूलाराम कुम्हार ने बताया कि परिवार के सभी सदस्य लगने के बाद भी एक दिन में करीब 20 मटकी ही तैयार होती हैं और अन्य छोटे मोटे सामान बनाते हैं, तो 100 पीस बनते हैं. मुख्य पीड़ा ये है कि घर के सभी सदस्य इस कार्य में लगे रहने के बाद भी सिर्फ 1000 रुपये दिहाड़ी बनती हैं. मतलब 20 से 22 हजार रुपये महीने की आमदनी होती है.
सरकार अगर अपनी ओर से कुम्हार समाज के इस पुस्तैनी व्यापार में किसी प्रकार की आर्थिक सहायता और अन्य सुविधा देती हैं तो हम लोगों को कुछ राहत मिल सकती है. परिवार में पढ़ी-लिखी ग्रेजवेट पुत्रवधु अनिता कुम्हार ने भी कहा कि परिवार के मुखिया दिन रात मेहनत करते हैं और हम भी अपने ससुर के कार्य में पूरा सहयोग करती हैं. फिर भी अगर सरकार हमारे समाज के लिए कुछ सुविधा उपलब्ध करवाती हैं, तो हमारे कार्य को चार चांद लग जाएगे और जीवन यापन में कुछ राहत मिल जाएगी.
नापासर की मटकियां अपने शीतल जल के लिए पूरे देश में प्रसिद्व है. कस्बे सहित आसपास के गांवों व बीकानेर सहित अन्य जिलों से लोग नापासर की मटकियां खरीदने आते हैं. गर्मी में इन मटकियों का पानी बड़ी राहत देता है. मारवाड़ी फ्रिज से मशहूर इन मटकियों को बनाने में कुम्हार समाज के लोग कई महीनों पहले से ही इनको तैयार करने पूरे परिवार सहित लग जाते हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि इनको मेहनत के अनुरूप लाभ नहीं मिलता है.
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